खुदा कसम एक इंसान में इतनी काबलियत भी हो सकती है , मुझे इसका अंदाजा कभी न था , उस इंसान ने आवाम के वक़्त भी बदले और जज्बात भी , कभी कभी तो हैरानी होती है कि एक ही इंसान में एक साथ दो अलग अलग गुण कैसे हो सकते है , अब मिसाल के तोर पर जैसे आईना जिसके एक तरफ़ा आप अपनी छवि हु भहु देख सकते है और उसकी दूसरी तरफ अपनी परछाई भी नही । 

सीधे तौर पर कहूँ तो वो इंसान व्फादार भी था और साथ साथ गदार भी ,  पढ़ा लिखा तो खैर वो था नहीं पर काबिलयत इतनी थी की अच्छे  ख़ासे को पढ़ा जाता था पता नहीं अजीब किसम का सम्मोहन करता था  , मतलब अगर वो दिन को रात कहे और रात को दिन तो सभी उसकी ही मान लेते थे और कोई भी मीडिया वाला चुं तक न करता था पर था पूरा व्यापारी कब चाय के जूठी प्याली मांजता मांजता देश को मांजने लग पड़ा । 

पढ़ा लिखा न होने के कारण उसे एक परेशानी थी , अब कौन से कानून की आवश्यकता है किसकी नहीं है उसे उसका नहीं था पता , क्यूंकि वो तो व्यापारी था न उसे क्या लेना देना किसकी बहन का दुष्कर्म हुआ किसकी माँ को आग में जलाया गया , उसे बस अपने मुनाफे की फ़िक्र थी जो उसे अपने अमीर सेठ को देना था , वो तो कहता था कि ख़ुशहाल दिन आएंगे , ख़ुशहाल दिन आएंगे लेकिन इसमें  आवाम का ही दोष है क्योंकि शायद आपने भी पढ़ रखा होगा " अधूरी जानकारी बहुत नुक्सान दाय है " क्यूंकि वो आपने ख़ुशहाल दिन की बात कर रहा था , अब आवम को इतना तो समझना चाहिए न , अब लोग चाहे उसे चोर कहे , चूतिया , या चौकीदार कहे पर ख़ुदा कसम वो था कमल का फूल क्योंकि व्फादार तो था और गदार भी ।

 

 

।। शुभम राज ।।

Like it on Facebook, Tweet it or share this topic on other bookmarking websites.
No replies found for this topic.
You do not have permissions to reply to this topic.